पहचान

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पहचान कविता By Priyansi


एक बात बताना जब हमारे उपर परेशानी आती हैं, हम परेशान होते है तब हम सबसे पहले किसको याद करते है? हम्म…. भगवान को और बाद मैं मां-बाप को । सही कहा ना? ये हम सब करते है। हमने हमारे मां- बाप को भगवान के जितना ही माना है फिर भी हम सबसे पहले भगवान को ही याद करते है। हम उनसे मदद मांगते है, सहारा मांगते है, रास्ता मांगते है। हमें बचपन से यही सिखाया गया है। बचपन में सिखाते थे कि भगवान हमारी मदद हमेशा करेगा और ये सच है कि भगवान हमारी मदद हमेशा करता है लेकिन हमें वो दिखता नहीं है। जब हम थोड़े बड़े होते हैं तो हम में लालच आ जाती है हम भगवान से कुछ ना कुछ मांगने लगते है, उनके भरोसे बैठ जाते है और ऐसा सोचते है कि भगवान ने हमारी किस्मत में लिखा होगा तो वो होगा ही नहीं तो नहीं पर हम रास्ता नहीं ढूंढ़ते परेशानी से बाहर निकलने के लिए।

बच्चों और बड़ों में क्या फर्क है पता है? बच्चे भगवान से बाते करते है बचपने में ही, पर कभी भी उनसे कुछ मांगते नहीं। हम ही है जो उनसे कहते है की भगवान से मांगो। सही कहा ना? सोचना एक बार पता चल जाएगा। हम बड़े भगवान से सिर्फ मांगते है पर बाते नहीं करते। अब आप  लोग सोचेंगे भगवान से बाते करना ये कैसे हो सकता है? हो सकता है अगर हम चाहे तो। भगवान से बाते करने का मतलब हम उनसे वो सारी बातें कर लेते है जो हम किसी से नहीं कर पाते, क्योंकि हम उन पर भरोसा करने है। हर खुशी, हर ग़म में, हर पल में याद करते है। बस सिर्फ एक फर्क होता है कभी कभी खुशी में हम खुश होकर याद कर लेते है और गम में कुछ मांगने के लिए हमेशा याद करते है। गम में हम उनसे ये मांगते है कि हमें इस परेशानी से बाहर निकाल दे पर ऐसा नहीं मांगते की सिर्फ रास्ता दिखा दे बाहर मैं खुद निकल जाउगा या फिर रास्ते में मेरे साथ रहना ताकि मुझे आगे बढ़ने की ताकत मिले। हमें गिरने से डर लगता है, चौट लगने से डर लगता है, हम महेनत करने से भागते हैं। इसलिए हम सिर्फ मंजिल मांगते हैं उस तक पहुंचने का रास्ता नहीं। भगवान ने सिर्फ हमें बनाया है, हमारी पहचान, हमारी सोच, हमारे रास्ते हम खुद बनाते है।

हम क्यूं हर परेशानी से गभरा जाते है? क्यूं रोने लगते है? क्यूं कोशिश छोड़ देते है? क्यूं सहारा ढूंढ़ते हैं? क्यूं अपनी पहचान को खो देते है? भगवान हमसे सिर्फ इतना ही चाहता है, सिर्फ इतना ही कहता है।

पहचान कविता

पहचान

मैंने तुमको बनाया है,
तेरी पहचान को नहीं,
मैं हूं हर परेशानी में तेरे पास,
पर तेरा सहारा नहीं हूं मैं,
तू गिरेगा तो मैं हूं संभालने के लिए,
पर तेरा सहारा नहीं बनूंगा कभी,
तुझे खड़ा होना है खुद,
तुझे खड़ा होना है अपने पैरो पर।
बस इतना बता दें मुझे तू,
क्यूं खो दी पहचान खुद की?
क्यूं खो दी हिम्मत खुद की?
बस एक बात याद रख मेरी तू,
तुझे रोना होगा,
तुझे हँसना होगा,
तुझे गिरना होगा,
तुझे संभलना होगा,
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तुझे मरना होगा,
तुझे जीना होगा,
तुझे चलना होगा,
तुझे दौड़ना होगा,
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तेरी जिंदगी है,
तेरा रास्ता है,
तेरी हिम्मत है,
तेरे सपने है,
तुझे डर है किसका?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तेरी मर्जी है,
तेरे मायने है,
तेरी जगह है,
तेरी हैसियत है,
तुझे डर है किसे खोने का?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तू आज है,
तू कल है,
तू हर रोज है,
तू हर पल है,
क्यों गभराता है जीने से?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तू गिरेगा, मैं हूं
तू संभलेगा, मैं हूं
तू रोएगा, मैं हूं
तू हँसेगा, में हूं
तू जो भी करेगा में हूं तेरे साथ,
तुझे कौन चाहिए?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तेरा वक्त है,
तेरा पल है,
तेरी खुशी है,
तेरी मर्जी है,
क्या चाहिए तुझे?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
क्यूं डरता है जीने से?
क्यूं डरता है मरने से?
क्यूं डरता है खुश होने से?
क्यूं डरता है रोने से?
किस चीज से डर है तुझे?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तू हँसेगा मैं हसुगा,
तू रोएगा मैं रोउगा,
तू जिएगा मैं जियुगा,
तू मरेगा मैं मरुगा,
किसका साथ चाहिए तुझे?
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तू प्यार कर खुद से,
तू सपने पूरे कर खुद के,
तू दिल को जीने दे खुद के,
तू सिर्फ पहचान खुद को।
तू अंश है मेरा, तू दिल है मेरा;
तुझे डर नहीं है किसिका,
तुझे गभराहट नहीं है किसिकी,
तू अंश है मेरा, तू दिल है मेरा;
तू सिर्फ पहचान खुद को,
तू सिर्फ पहचान खुद को।

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